POETRY IN HINDI :- कविताओं का संकलन। Guest post :- (धारण योग्य जो,धर्म वही है - हिंदी कविता / Dharan yogya jo,wahi dharm hai.- Hindi poem)...
POETRY IN HINDI :- कविताओं का संकलन।
(धारण योग्य जो,धर्म वही है - हिंदी कविता / Dharan yogya jo,wahi dharm hai.- Hindi poem)
अम्बेडकरनगर ,उत्तरप्रदेश से रचनाकार -रामबृक्ष बहादुरपुरी की कविता:-
सत्य मार्ग पर
आगे बढ़कर
मानवता के
पथ पर चलकर
शान्ति और सहयोग
बनाकर
जाति पाति का
रोग मिटाकर
छूआ छूत और
ऊंच नीच का
अंतर्मन से
भेद हटाकर
करने योग्य जो
कर्म सही है
धारण योग्य जो
धर्म वही है।
धर्म के पीछे
होता धंधा
कहीं अपहरण
कहीं पर दंगा
कुछ लोग तो
होकर अंधा
कहीं पर लड़ते
लेते पंगा
कहीं पर करते
काम भी गंदा
अंधविश्वास की
झांसा देकर
मन को करते
रहते चंगा
ये सब
करना सही
नही है,
धारण योग्य जो
धर्म वही है।
धर्म सभी को
जोड़े रखता
पशु पक्षी की
रक्षा करता
राजनीति में
धर्म को लाकर
कहते धर्म पर
खतरा लगता
धर्म नही कोई
राजनीति है
ना ही कोई
कूटनीति है
धर्म सिखाता
जीवन जीना
मरना कटना
कभी नही है,
धारण योग्य जो
धर्म वही है।
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रचनाकार -
रामबृक्ष बहादुरपुरी
(अम्बेडकरनगर ,यू पी )
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