POETRY IN HINDI :- कविताओं का संकलन। मां,कभी तुम सिर्फ मेरे लिए आ जाती! Maa,kabhi tum sirf mere liye aa jati! ( हिंदी कविता / Hindi poem) ...
POETRY IN HINDI :- कविताओं का संकलन।
मां,कभी तुम सिर्फ मेरे लिए आ जाती! Maa,kabhi tum sirf mere liye aa jati!
( हिंदी कविता / Hindi poem)
एक बेटी की व्यथा को उकेरती ये कविता प्रस्तुत है जो ब्याही जाने के बाद सालों साल अपनी मां से नहीं मिल पाती।और मां के लिए चिंता मन में रखती तो है लेकिन कभी बयां नहीं कर पाती और एक छोटी सी ख्वाहिश हृदय में सब से छुपा कर संजो कर रखती है।
मां,कभी तुम सिर्फ मेरे लिए आ जाती!
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मुझे पता है मां,
तुम्हारी देह शिथिल हो चली है
आंखें भी जवाब देने लगी है
ऊंची आवाज ही सुन पाती हो तुम
अपने दुख सबसे छुपाती हो तुम।
मुझे पता है मां,
सत्तर बसंत पार कर लिए हैं तुमने
कई झंझावतों से जूझ लिया है तुमने
फिर भी अड़ी हो आंधियों में
फिर भी डटी हो जिंदगी की दौड़ में।
मुझे पता है मां,
टूटी - फूटी सी हो तुम
चोट खाई बिखरी - सी हो तुम
खुदको समेटा है तुमने जुड़कर तीसरी पीढ़ी से
वजूद और प्रेम सब जुड़ा है अब उन्हीं से।
मुझे पता है मां,
हर जिम्मेदारियों को तुमने निभाया है
अपने पसीने और खून से परिवार को सींचा है
कपूत को भी अपने सीने से लगाया है
आग में झुलस कर खुदको पत्थर बनाया है।
मुझे पता है मां,
मेरी भी फिक्र करती हो तुम
लेकिन वक्त के थपेड़ों से दूर हो तुम
बहुत याद आती है मां तुम्हारी
डरती हूं भूल न जाना बेटी हूं दुलारी।
तुम्हें पता है मां?
तुम्हारे स्नेह भरे दृष्टि के लिए मैं तरसती हूं
कभी छोटे बच्चे की तरह तुमसे ख्वाहिशें रखती हूं
कभी तुम्हारे मुरझाए चेहरे में खुशियों की चमक ढूंढ़ती हूं।
दिन- रात ईश्वर से तुम्हारी कुशलता की कामना करती हूं।
कैसे तुम्हें बताऊं मां...
बरसों बीत जाते हैं तुम्हें देखे हुए जब
लगता है मुझको पराया मायका तब
काश, कुछ दिन सब कुछ छोड़कर
मां ,कभी तुम सिर्फ मेरे लिए आ जाती।
काश,कभी तुम सिर्फ मेरे लिए आ जाती।।
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:- तारा कुमारी
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