POETRY in HINDI - विविध अभिव्यक्ति। लेख :- राँची, झारखंड। Karam parv / karma puja / Festival of jharkhand करम पर्व / कर्मा पूजा / कर्मा का...
POETRY in HINDI - विविध अभिव्यक्ति।
लेख :-
राँची, झारखंड।
Karam parv / karma puja / Festival of jharkhand करम पर्व / कर्मा पूजा / कर्मा का त्यौहार
करम परब / कर्मा पूजा :-
झारखंड के प्रमुख त्योहारों में से एक है - कर्मा पूजा या करम पर्व।यह आदिवासियों के द्वारा मनाया जाने वाला पर्व है जो प्रकृति से जुड़ी हुई है।
कर्मा पूजा कब मनाया जाता है?
भादो महीना के शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन कर्मा का त्योहार मनाया जाता है।
यह त्योहार कहां - कहां मनाया जाता है?
यह त्योहार झारखंड में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है ।इसके अलावा यह ओडिशा, बंगाल, छत्तीसगढ़ और असम में भी वहां के आदिवासियों के द्वारा मनाया जाता है।
यह त्योहार क्यों मनाया जाता है?
आदिवासी समुदायों में प्रकृति की पूजा करने की परंपरा सदियों से रही है।
कर्मा त्योहार के पीछे भी आदिवासी समुदाय के लोगों की परंपरा है कि धान की रोपाई के बाद प्रकृति पूजन कर अच्छे फसल की कामना करते हैं।
इसके साथ ही इस पर्व को मनाए जाने का एक अन्य मान्यता है बहनों द्वारा भाईयों के सुख-समृद्धि और दीर्घायु की कामना करना।
इस पूजा में करम की कहानी कही जाती है जिससे हमे सीख मिलती है कि हमें सदैव अच्छे कर्म करने चाहिए क्योंकि कर्म ही धर्म है।
कर्मा पूजा / करम पर्व किस प्रकार मनाया जाता है?
यह त्योहार मुख्य रूप से कुंवारी युवतियों के द्वारा मनाया जाता है। लड़कियों द्वारा कर्मा पूजा के लिए भादो महीना के तृतीया से ही तैयारी शुरू कर दी जाती है। युवतियां / लड़कियां नदी या तालाब से स्वच्छ और महीन बालू उठाकर लाती हैं और इसे डलिया (टोकरी) में भरती हैं।फिर इसमें सात प्रकार के अनाज बोती हैं - जौ,गेहूं,मकई,धान, उरद, चना, कुरथी आदि। इसे "जावा" कहा जाता है। इन्हें किसी स्वच्छ स्थल पर रखा जाता है।इसके दूसरे दिन से इन अनाजों को रोज पूजा अर्चना कर हल्दी पानी से सींचा जाता है।युवतियां एक दूसरे का हाथ पकड़कर जावा जगाने(अनाजों के उगने) का गीत गाती हैं और नृत्य करती हैं।
शाम के समय गांव के युवा /बड़े बुजुर्ग मांदर बजाते नृत्य करते करम राजा यानी कि ईश्वर के प्रतिरूप करम डाली जंगल से काटकर लाने जाते हैं।वहां करम पेड़ का श्रद्धा से पूजा अर्चना करके पेड़ पर चढ़कर तीन डालियां काटी जाती हैं और साथ लेकर पेड़ से उतरा जाता है।यहां ये ध्यान रखा जाता है कि करम की डाली जमीन पर न गिरे।
अखरा पहुंचने से पहले करम की डाल को उपवास रखनेवाली युवतियां/ लड़कियों को सौंप दिया जाता है उसके बाद पाहन व अन्य लोग अखरा में तीन बार जल डालते हुए परिक्रमा करते हुए करम डाली को विधि विधान से घर के आंगन या अखड़ा में स्थापित कर दिया जाता है। उपवास रखी हुई कुंवारी युवतियां सज धज कर पूजा के थाल लेकर डाली के चारों ओर बैठती हैं और करम राजा से प्रार्थना करती हैं कि हे करम राजा ,मेरे भाई को सुख समृद्धि देना।इसके साथ ही युवतियां करम देव से अच्छे वर और विवाह के बाद अच्छे संतान के लिए भी प्रार्थना करती हैं।
करम पूजा से पहले उपवास रखनेवाली लड़कियों से फूल/ जावा ले लिया जाता है।फिर बलि प्रथा के अनुसार पाहन के द्वारा रंगुवा (लाल) मुर्गे की बलि दी जाती है।फिर तपावन,फल फूल,जावा आदि अर्पित करते हुए पाहन करम देव की पूजा करते हैं।
पूजा समाप्त होने पर करम की कथा सुनाई जाती है।इसके बाद चना,खीरा, गुड़,फल का प्रसाद बांटा जाता है।रात भर करम नृत्य चलता है।
दूसरे दिन करम देव को विधि पूर्वक उखाड़ा जाता है और गांव के सभी घरों में करम डाली लेकर भ्रमण कराया जाता है। फिर किसी तालाब, पोखर या नदी में धार्मिक रीति के अनुसार विसर्जित कर दिया जाता है।
करम पूजा / करम पर्व से संबंधित प्रचलित लोक इतिहास :-
प्रत्येक पर्व - त्योहार के पीछे कोई न कोई लोक इतिहास जुड़ा होता है।
कर्मा पर्व के पीछे भी अनेक कहानियां प्रचलित है।
• झारखंड में प्रचलित लोक इतिहास के अनुसार,कर्मा और धर्मा नामक दो भाई थे, जिसमें से कर्मा ने कर्म की महत्ता बताई और धर्मा ने शुद्ध आचरण तथा धार्मिक जीवन का मार्ग दिखाया। इन्हीं दो भाईयों में से कर्मा को देव स्वरूप मान कर अच्छे प्रतिफल की प्राप्ति हेतु उन्हें प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा अर्चना तथा नृत्य प्रतिवर्ष किया जाता है।
• छत्तीसगढ़ के जनजातियों के अनुसार राजा करमसेन ने अपने ऊपर विपत्ति पड़ने पर इष्टदेव को मनाने एवं खुश करने के लिए रातभर नृत्य किया जिसके बाद उनकी विपत्ति दूर हुई।तब से राजा करमसेन के नाम पर कर्मा का पर्व एवं कर्मा नृत्य का प्रचलन हुआ।
इसके साथ ही वहां के कुछ जनजातियों का मानना है कि करमी नमक वृक्ष पर करमसेनी देवी का वास होता है तथा उन्हें प्रसन्न करने के लिए करमी वृक्ष के साल को आंगन में विधि पूर्वक स्थापित करके पूजा की जाती है और रात भर नृत्य किया जाता है।
:- तारा कुमारी
रांची , झारखंड।
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विविध अभिव्यक्ति ( कहानी ,लेख आदि):-
Nice
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