Poetry in Hindi - कविताओं का संकलन। (Bechainiyan par kavita) बेचैनियाँ पर कविता - हिंदी कविता/ poem in hindi. मन के कोलाहल को दुनिया ...
Poetry in Hindi - कविताओं का संकलन।
(Bechainiyan par kavita) बेचैनियाँ पर कविता - हिंदी कविता/ poem in hindi.
मन के कोलाहल को दुनिया न देख पाती है ना सुन पाती है।कई बार हम इस चक्रव्यूह में घिरकर बस दुनिया भर की बेचैनियों को खामोशी से महसूस करते हैं।कुछ ऐसे ही भावों से पूर्ण ये कविता प्रस्तुत है -
बेचैनियों को जिम्मेदारियों से सिलकर रखा था हमने
उघड़ गए धागे सब्र के टूट जाने से।
छोटी दरिया समझा था जिस दर्द को हमने,
वो दुखती रगों का एक समंदर निकला।
ये क्या करम है ऐ खुदाया
एक परछाई के पीछे पीछे
हम चलते रहे और वो ,
सिर्फ हमारा एक भरम निकला।
अब न हम चैन से सोते हैं
भीड़ में भी तन्हा, गुम से होते हैं।
ढूंढा जो खुदको हर जगह,
पछतावे में झुलसा ये तन - मन निकला।
कैसे संभालें इस तूफान को
खामोश है मगर बहुत शोर है इसमें।
तलाशा जो मुस्कुराने का राज तो,
जिंदगी में बस सुकून होना जरूरी निकला।
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