POETRY in HINDI - विविध अभिव्यक्ति। लेख :- Date :-27/03/2022 विश्व गौरैया दिवस / World sparrow day - 20 मार्च घर के खिड़कियों में, छज...
POETRY in HINDI - विविध अभिव्यक्ति।
लेख :-
Date :-27/03/2022
विश्व गौरैया दिवस / World sparrow day - 20 मार्च
घर के खिड़कियों में, छज्जों में घास फूस से घोंसले बनाकर इंसानों के करीब बिना डरे रहने वाली छोटी सी चिड़ियां - गौरैया (sparrow)। इधर उधर फुदकती ये गौरैया आज विलुप्ल होने के कगार पर है। हम में से कुछ ने तो अपने घरों के रोशनदानों या छज्जों में गौरैया को घोंसला बनाकर रहते देखा होगा लेकिन कुछ तो ऐसे भी होंगे जो इस चिड़िया को अपने आस पास न तो अब तक देख सके हैं,ना पहचानते हैं क्योंकि अब विरले ही शहरी क्षेत्रों या ग्रामीण क्षेत्रों में ये पक्षी नजर आते हैं।
आइए ,आज हम इस छोटी सी चिड़िया ,गौरैया के बारे में चर्चा करते हैं।
विश्व गौरैया दिवस कब मनाया जाता है ?
प्रत्येक वर्ष 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस पूरी दुनिया में मनाया जाता है।ये दिन खास तौर से गौरैया को विलुप्त होने से बचाने के मुहिम के रूप में रखा गया है। पिछले कुछ वर्षों से शहरी क्षेत्रों में इसकी लगातार तेजी से कम होती संख्या चिंता का विषय है। साथ ही शहरी वातावरण में रहने वाली इसके जैसी अन्य छोटी पक्षियों को भी बचाने के लिए लोगों में जागरूक करने के लिए विश्व गौरैया दिवस समर्पित है।
‘नेचर फॉरेवर सोसायटी’ के अध्यक्ष मोहम्मद दिलावर ने गौरैया की घटती आबादी को देखते हुए अपने विशेष प्रयासों से गौरैया पक्षी के संरक्षण पर सबका ध्यान आकृष्ट किया और पहली बार वर्ष 2010 में विश्व गौरैया दिवस मनाया गया था। मोहम्मद दिलावर, महाराष्ट्र के नासिक जिले के रहनेवाले हैं। ये वर्ष 2008 से गौरैया के संरक्षण पर कार्य कर रहे हैं।
गौरैया का वैज्ञानिक परिचय :-
गौरैया, पक्षियों के पैसर वंश (Passer) के P .domesticus जाति से संबंधित है। यह संसार के अधिकांश भागों में पाई जाती है।शुरू में यह विश्व के कुछ हिस्सों जैसे यूरोप,एशिया तथा भूमध्य सागर के तटवर्ती क्षेत्रों में ही पाई जाती थी किंतु इंसानों ने इसे हर जगह फैलाने का कार्य किया।
शहरी क्षेत्रों में गौरैया की 6 तरह की प्रजातियां पाई जाती हैं। इनके नाम हैं - स्पेनिश स्पैरो, रसेट स्पैरो, डेड सी स्पैरो, सिंड स्पैरो, ट्री स्पैरो, और हाउस स्पैरो ।
इनमें हाउस स्पैरो को गौरैया कहा जाता है। यह गांव में ज्यादातर पाई जाती हैं।
इस पक्षी की लंबाई १४ से १६ से.मी. होती है।
नर और मादा गौरैया को क्रमश: चिड़ा और चिड़ी भी कहा जाता है।
गौरैया के धीरे-धीरे विलुप्त होने के कारण :-
गौरैया हमारे पर्यावरण और प्रकृति की अनमोल धरोहर है। किंतु, आज के आधुनिकीकरण में हमारे आस पास कई परिवर्तन आए हैं।शहरों में बनने वाली ऊंची ऊंची इमारतों में पहले जैसे गौरैया के लिए रहने के स्थान की कमी हो गई है। बदलते परिवेश और शहरीकरण ने इस पक्षी को इंसानी आबादी से दूर कर दिया है।
वहीं अब धीरे धीरे हर जगह सुपरमार्केट संस्कृति से इन पक्षियों को पंसारी के दुकान से मिलने वाली दाना भी बंद हो गई है।
शहरी क्षेत्रों में,ग्रामीण क्षेत्रों की तरह पक्षियों को खेत खलिहानों या आंगन में दाना सहज उपलब्ध नहीं होते हैं।
इसके साथ ही बड़े पैमाने में मोबाइल टावरों से निकलनेवाली तरंगें भी इन छोटी पक्षियों के लिए नुकसानदेह हैं।इन तरंगों से पक्षियों के दिशा खोजने की क्षमता के साथ प्रजनन क्षमता भी प्रभावित होती है जो इन पक्षियों के विलुप्त प्राय होने में एक महत्वपूर्ण कारण है ।
आज के दौर में शहरों में प्रदूषण भी काफी बढ़ा है और इसकी वजह से तापमान में भी वृद्धि हुई है।गौरैया के लिए अधिक तापमान उपयुक्त नहीं है।इसके कारण भी ये पक्षी पलायन करने पर विवश होते हैं तथा जीवित रहने के लिए संघर्ष करते हैं।
वृक्षों / जंगल की कमी भी इन छोटी पक्षियों की संख्या में कमी होने का एक कारण है।
गौरैया के संरक्षण के प्रयास :-
गौरैया के संरक्षण के लिए दिल्ली सरकार ने गौरैया को अपना राजपक्षी घोषित किया है।
इस बार भी विश्व गौरैया दिवस की थीम है - ' आई लव स्पैरो '।शायद गौरैया के प्रति इंसानों का अलगाव को देखते हुए यह थीम रखी गई है।ऐसे में हमारी जिम्मेदारी बनती है हमें गौरैया से न सिर्फ प्यार करना है बल्कि इसके संरक्षण के लिए भी हर छोटी बड़ी कदम आगे बढ़ाने होंगे।
विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही गौरैया ने अपना प्राकृतिक वास खो दिया है किंतु, हम हमारे छोटे - छोटे प्रयास से भी
गौरैया को संरक्षित कर सकते हैं।गौरैया पक्षी का विकास मानव विकास के साथ माना जाता है।
यह बात सच है कि अगर हम सब ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया तो एक दिन यह पक्षी विलुप्त हो जायेगा क्योंकि यह पहले ही विलुप्त प्राय हो चुकी है।अब दूर - दूर तक नजरें दौड़ाने पर भी गौरैया नहीं दिखती हैं।
अगर इस प्यारी और खूबसूरत पक्षी को बचाना है तो क्यों न हम सब अपने अपने घरों में गौरैया के लिए घोंसले/ घरौंदे बनाएं या घोंसले बनाने लायक जगहें रखें।
छतों में ,आंगन में पानी का पात्र और दाना रखें ।क्या पता कोई गौरैया या इन जैसी छोटी प्यारी पक्षी उड़ती , फुदकती आपके आंगन या छत पर आए और आकर बसेरा बना ले।
इसके साथ ही हमें अधिक से अधिक अपने आस पास पक्षियों के प्राकृतिक आवास - वृक्षों को भी लगाना आवश्यक है।
"गौरैया " मेरे बचपन की यादों में बसी है ।अंत में ,एक छोटी सी कविता इस खूबसूरत और प्यारी सी चिड़िया के विलुप्ति के कगार पर होने का आगाह करती तथा इस के संरक्षण की जागरूकता के लिए समर्पित है:-
(पोएट्री इन हिंदी)
गौरैया (Gauraiya) - हिंदी कविता / Poem in Hindi
--- गौरैया ---
चहकती फुदकती
दाना चुगती
गौरैया प्यारी - सी।
इधर उधर चोंच मारती
घुमाती तेजी से
आंखें भी चंचल - सी।
कभी मेरे बगल
कभी मां के बाजू में
बैठ ताकती मासूम - सी।
घर के छज्जे में,
एक छोटा सा आशियाना
जैसे हो पूरी धरा - सी।
अल्हड़ सी छोटी चिरैया
चूं चूं कर बना देती थी
सुबह संगीतमय - सी।
बरसों गुजर गए,
अब नहीं दिखते घोंसले
खिड़कियों में बचपन - सी।
न है अब कोई कलरव
न फुदकना न चहकना
छत,आंगन भी हैं अब खाली - सी।
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:- तारा कुमारी
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