Poetry in Hindi - कविताओं का संकलन। सफ़र - हिंदी कविता / Safar - poem in Hindi. (कभी - कभी हम हमदर्द की तलाश में कई अनजान डगर में चल पड़ते ह...
Poetry in Hindi - कविताओं का संकलन।
सफ़र - हिंदी कविता / Safar - poem in Hindi.
सफ़र
ढूंढती रही खुदको ताउम्र, किसी और में ..
तन्हा भी मैं हूं, भीड़ भी मैं हूं
और खुद में ही सम्पूर्ण भी।
जिंदगी ने समझाया मुझको, कुछ यूं ढलती शाम में ।।
रिश्ते नाते तो सभी संपूरक हैं,
मिलते हैं, फिर खो जाते हैं।
कुछ छूटते हैं,
कुछ गांठ के साथ रह जाते हैं।
हम स्वयं से ही क्या कभी मिल पाते हैं !
हम चाहते क्या हैं?
किस में खुशी बसती है हमारी?
झूठी शान,और अहंकार में बस उलझे रहते हैं।
अपनी खुशी और गमों का ठीकरा
दूसरों के सिर, अक्सर झट मढ़ देते हैं,
बेवजह चिंता ,दुख और अवसाद को
अंतर्मन में पैर पसारने देते हैं।
क्यूं न तजकर, ईर्ष्या,वैमनस्य और क्रोध को,
सबकी उन्नति और सुख के भाव मन में लिए,
चलें हम सफर के हर क्षण को जी भर जिए..
क्यूं न साथी बन, सुकून देता मरहम बन जाएं हम!
आखिर लेकर जाना ही क्या है, इस संसार से?
कर्म ही तो करना है और आगे बढ़ जाना है।
हर सुख - दुख को मुस्कान में घोलकर,
अंधियारे में कभी चिराग जला कर,तो कभी चिराग की तरह स्वयं जलकर।।
ढूंढती रही खुदको ताउम्र, किसी और में ..
तन्हा भी मैं हूं, भीड़ भी मैं हूं
और खुद में ही सम्पूर्ण भी।
जिंदगी ने समझाया मुझको, कुछ यूं ढलती शाम में ।।
:- तारा कुमारी
कैसी लगी आपको ये कविता? जरूर बताएं। यदि पसंद आए या कोई सुझाव हो तो कमेंट में लिखे। आपके सुझाव का हार्दिक स्वागत है।
COMMENTS