Poetry in hindi (कविताओं का संकलन) Guest post :- इश्क की मुट्ठी में (हिंदी कविता)/ Ishq ki mutthi mein (Hindi poem) बिहार (गोपालगंज) से परव...
Poetry in hindi (कविताओं का संकलन)
Guest post :-
इश्क की मुट्ठी में (हिंदी कविता)/ Ishq ki mutthi mein (Hindi poem)
बिहार (गोपालगंज) से परवेज़ आलम की कविता
कहने वाले तो कहने को क्या क्या कहते हैं
हम आसमानों में और हमारे पैर जमी पे रहते हैं ।
बुलंद होना और बुलंदियों का मयार कायम रखना
रास्ते बन के पड़े किसी की छड़ी रहते हैं ।
हमारा काम था ये कि सब को सच बताया का जाए
वरना यहां तो सब के हाथ हथकड़ी में रहते हैं ।
हमीं से सब मंसूफ हैं मुकदमा , अदालत और हाकिम
सब कानून दबे दबे हमारी जूती के रहते हैं l
तू अमीर है तो अपनी अमीरी का सबूत दे
तेरे इर्द गिर्द के लोग फाकाकशी में रहते हैं ।
सात फेरों के बाद भी वो अपने नहीं बनते
वो जो किसी इश्क की मुट्ठी में रहते हैं !
(स्वरचित)
:- परवेज़ आलम
गोपालगंज, बिहार।
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