कह देना मुझे (हिंदी कविता)/Kah dena mujhe( Hindi poem) (जीवन में एक मोड़ ऐसा भी आता है जब इंसान किसी से न कोई शिकायत करना चाहता है , न किसी ...
कह देना मुझे (हिंदी कविता)/Kah dena mujhe( Hindi poem)
कह देना मुझे
यूं तुम्हारे तीखे शब्दों के शूल
सीने को भेदते हैं मेरे
छोटी-छोटी बातों को देना तूल
आंखों को नम करते हैं मेरे
मिठास अगर कम हो जाए मेरे लिए
तो कह देना मुझे
रंजिशें घर बनाने लगे किसी मोड़ पर
तो कह देना मुझे।
यूं चुप्पी साधे नजरें चुराते हो तुम
शब्दों में अजनबीपन मिलाते हो तुम
हर बात पर मुस्कुराने वाले
अब बात - बात पर नाराजगी जताते हो तुम
मृदु अहसास अगर फीके हो जाए मेरे लिए
तो कह देना मुझे
रिश्ते में दरार और अहम की दीवार आने लगे
तो कह देना मुझे।
हृदय कुसुम मुरझाएंगे
असह्य पीड़ा होगी मुझे
तेरे सत्य उजागर करने से
पर मुक्त होगा मेरा अंतर्मन
झूठ की फरेबी स्नेहिल छाया से
अनुराग गर कम हो जाए कभी मेरे लिए
तो कह देना मुझे
द्वेष और दूरियां, दिल में जगह बनाने लगे
तो कह देना मुझे।
नहीं दूंगी कोई ताना
न करूंगी शिकायत
जहां भी रहो आबाद रहो
तुझ पर हो खुदा की नजर-ए-इनायत
रास्ते अगर जुदा हो जाए कभी तुम्हारे
तो कह देना मुझे,
तलाश मुझ तक आकर भी खत्म न हो
तो कह देना मुझे।
समेट लूंगी अपनी बनाई दुनिया को
आंखों के कोरों में
मेरी वेदना कैद हो जायेंगी
खामोशियों के जंजीरों में
'तुझ में' मैं न मिलूं जिस दिन
तो कह देना मुझे
हम 'हम' ना रहें , जुदा होने लगे
तो कह देना मुझे।
👌👌👌👌👌👌
ReplyDeleteThank you.
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