हम और वो(हिंदी कविता)/ hum aur wo ( Hindi poem) हम और वो हम रात भर करवटें बदलते रहे और वो सुकून की नींद सोते रहे। हम याद में उनकी आंसू ब...
हम और वो(हिंदी कविता)/ hum aur wo ( Hindi poem)
हम और वो
हम रात भर करवटें बदलते रहे
और वो सुकून की नींद सोते रहे।
हम याद में उनकी आंसू बहाते रहे
और वो हमारे लिए बेफिक्र हो, मुस्कुराते रहे।
हम हर बात में उनपे प्यार जताते रहे
और वो हर कदम पे बेरुखी दिखाते रहे।
हम अपनी हर खुशी उनपे न्योछावर करते रहे
और वो जहरीले बीज अपने दिल में बोते रहे।
हम हर गम को खुशी समझ सीने से लगाते रहे
और वो पहले से ज्यादा, हमसे अजनबी होते गए।
हम वक्त के साथ उनके और करीब होते रहे
और वो खामोशी से हमसे दूर होते रहे।
हम प्रेम के सागर में एहसासों से खुदको भिगोते रहे
और वो रिमझिम फुहारों में दूजे के संग भीगते रहे।
विरह में उनके हम, दिन रात जलते रहे
और वो अपनों के संग,खुशियों के दिए जलाते रहे।
(स्वरचित)
:- तारा कुमारी
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