होली की खुमारी - हिंदी कविता/ Holi ki khumaari - Hindi poem इस वर्ष(2020) हम सब कोविड -19 के प्रकोप के साथ होली का त्यौहार मनाने के लिए बा...
होली की खुमारी - हिंदी कविता/ Holi ki khumaari - Hindi poem
इस वर्ष(2020) हम सब कोविड -19 के प्रकोप के साथ होली का त्यौहार मनाने के लिए बाध्य हैं। त्यौहार हमारे लिए जितना खास महत्व रखता है उतना ही जरूरी हमारी सुरक्षा भी है जिसे हम अनदेखा नहीं कर सकते।
सावधानियों के साथ त्यौहार की खुशियों और एहसास को महसूस करने की मशविरा देती हुई ये छोटी सी कविता प्रस्तुत है:-
होली की खुमारी
मन में है होली की खुमारी,
पर भूल ना जाना सामाजिक दूरी।
नासपीटे कॉरोना ने त्यौहार में खलल है डाली,
प्रक्षालक और नासिकामुखसंरक्षक कीटाणुरोधी
वायुछानक वस्त्र डोरी युक्त पट्टिका ने खतरे को है टाली।
राग, द्वेष और बैर को गुलाल संग हवा में उड़ा कर,
प्रेम ,स्नेह और अपनेपन की खुशबू चौतरफा महका कर।
दुख व कटु अनुभवों को रंगों में धोकर
भाईचारे का संदेश हृदय में प्रस्फुटित कर।
नई उमंग और खुशियों को गले लगाना है,
मिलकर..पैर पसारती कोरोना को दूर भगाना है ।
माना,मन में है होली की खुमारी
पर अपनी सुरक्षा भी है बहुत जरूरी।
दो गज की रहे दूरी,पर रहे ना दिलों में दूरी
कर लो ऐसे ही.. मन के भावों को पूरी।
(स्वरचित)
:- तारा कुमारी
(1)प्रक्षालक - सेनिटाइजर ।
(2)मास्क - नासिकामुखसंरक्षक कीटाणु रोधक वायु छानक वस्त्र डोरी युक्त पट्टिका ।
(कैसी लगी आपको यह कविता?जरूर बताएं। यदि पसंद आए या कोई सुझाव हो तो कमेंट में लिखे। आपके सुझाव का हार्दिक स्वागत है।)
4)फरेब
8)जरूरी है
9)बेटियां
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