एक पड़ाव (हिंदी कविता) / Ek padaaw (hindi poem) ( इंसान की सबसे पुरानी और बड़ी गलतफहमी ये है कि वो खुदको सबसे अच्छा और बगैर कमी के व्यक्...
एक पड़ाव (हिंदी कविता) / Ek padaaw (hindi poem)
( इंसान की सबसे पुरानी और बड़ी गलतफहमी ये है कि वो खुदको सबसे अच्छा और बगैर कमी के व्यक्ति समझता है और ऐसे लोग इस घमंड में दूसरों की कमी तो आसानी से देख लेते हैं और उसके लिए शोर भी मचाते हैं, बगैर सामने वाले के सही कारण जाने। लेकिन इस बीच उन्हें पता ही नहीं चलता कि लोगों की गलतियां या सौ कमियां दिखाते दिखाते खुद उन्होंने अपनी हजार कमियां जगजाहिर कर चुके होते हैं या हजार गलतियां कर लेते हैं।
इसलिए हम सभी को बीच बीच में अपने जीवन की यात्रा में किसी छोटे से पड़ाव में थोड़ी देर रुक कर आत्ममंथन कर आगे बढ़ने की मशविरा देती छोटी सी कविता प्रस्तुत है।)
एक पड़ाव
जब मन हो शांत निर्मलतब सोचना निष्पक्ष होकर
कुछ ख्याली खरपतवार
उग आए हैं उद्विग्न होकर
कटु शब्दों और लांछनों
से सराबोर होकर
जब चलोगे राह में
उत्कंठा और पूर्वाग्रहों को लेकर
मंजिल का तो पता नहीं..
साथी सभी खो जायेंगे,
तुमसे मायूस होकर।
(स्वरचित)
:- तारा कुमारी
(कैसी लगी आपको यह कविता?जरूर बताएं। यदि पसंद आए या कोई सुझाव हो तो कमेंट में लिखे। आपके सुझाव का हार्दिक स्वागत है।)
2)फरेब
6)जरूरी है
Right ��
ReplyDelete