Barish / barkha
बारिश की इक शाम Barish ki ek shaam - Hindi poem ( हिंदी कविता)
बारिश की इक शाम Barish ki ek shaam
रिमझिम - रिमझिम बूंदों की बरसात
आती है बांध अपने आंचल में प्रेम की सौगात
सर्द ठिठुरती हवा के झोंके
उस पर नर्म हाथों की छुअन
उष्णता देती सहज सौम्य स्पर्श..
बरखा के संगीतबद्ध स्वर में
सांसों के आती जाती स्वर लहरियों में
घुलमिल जाती है तब ये बारिश की शाम।
निर्मल जल से धूले चेहरे
भीगे केश और चमकते मुखड़े
राग मल्हार के गीत गाता हृदय
शब्दों के तार कहीं लुप्त हो जाते हैं,
खामोशियां और एहसास ही तब भाषा बन जाते हैं।
बारिश की नमी पाकर प्रेम का कोमल बीज
अंतर्मन में जब,
नई कोंपल बन सतरंगी अंगड़ाई लेता है।
प्रेमसिक्त मधुर मुस्कान गालों पर चुपके से बिखर जाती हैं-
बारिश के संग मदहोश शाम,
चुपके से....
दो दिलों की अनकही बातें कह जाती हैं।
(स्वरचित)
:- तारा कुमारी
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1) बेटियां
Bahut khoob...
ReplyDeleteThanks.
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