Waqt aur trashadi,Corona ,world war
वक़्त और त्रासदी ( Time and Tragedy) - Hindi poem
(आज पूरा संसार जिस त्रासदी से गुजर रहा है उससे मर्माहत होकर मैंने यह कविता लिखी है| इस घटना ने इतिहास की याद फिर से ताजा कर दी है, जहां हम कई त्रासदियों से गुजर चुके हैं।
आज फिर से विवेचना करने की आवश्यकता है कि कैसे हम भयमुक्त एवं सुरक्षित रहें|)
इन्हीं भावनाओं से ओत प्रोत ये कविता आपके समक्ष प्रस्तुत हैं।
वक्त और त्रासदी
अनवरत बहती ये समय की धारा,
नमन करे जिसे जग सारा |
ना ठहरे ना सुस्ताए..
ना वापस लौट कर आए ये,
बस अपनी निशां छोड़ जाए ये|
लाख बिछा लो चाहे तुम निगाहें
गुजर जाए जो, नहीं आते वो लम्हें
ऐसी अनुशासित हैं ये लहरें |
इसकी एक डगर है, एक लक्ष्य
आगे बढ़ना, नहीं है थकना|
पाठ पढ़ा कर जताए अपनी महत्ता
बेजुबान है ये,कौन इसे है कहता?
जो ले ले सीख,वो बने महान
यह वक्त है बड़ा बलवान |
जो ना समझे इसकी अहमियत
वह रह जाए खाली हाथ
मित्र, प्रियजन की क्या बात
किस्मत भी छोड़ जाए साथ|
वक्त से आगे चलने की होड़
शांति,अहिंसा,प्रकृति की सुरक्षा छोड़
मानव ने किया जब जब इस पर प्रहार
जीत का तो पता नहीं,
मिली है हर बार ही हार|
सिसकती आवाजें,लहूलुहान धरती
हैं इसके गवाह -
कभी परमाणु बम, भूकंप, सुनामी
बाढ़,सूखा, वर्ल्ड वार..
कभी हैजा कभी चेचक
कभी कोरोना का वार।
त्राहि-त्राहि कर रहा पूरा संसार
प्रकृति की है यही पुकार,
वक्त ने दे दिया है संदेश -
मानव तू हद में रह,
तभी होगी खुशियां अपार।
तभी होगी मानवता की जय जय कार।।
(स्वरचित)
-तारा कुमारी
-तारा कुमारी
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Wqt aur trasadi - HINDI POEM.
Anvarat bahti ye Samay ki dhara
Naman Kare Jise Jag Sara.
Na thahre na sustaye
Na Wapas Laut kar Aaye ye
Bas apne Nishan Chhod Jaaye Ye.
lakh Bichha Lo Chahe tum Nigahen
Gujar Jaaye Jo Nahin Aate Woh Lamhe
Aise anushasit Hain ye lahren.
Iski Ek dagar hai, Ek Lakshya
Aage Badhana, Nahin Hai thakna.
paath padha kar Jataye ye apni mahtta
Bezubaan Hai Ye, Kaun ise Kahta
Jo Le Le sikh woh Bane Mahan
Ye Waqt Hai Bada Balwan.
Jo Na Samjhe iski ahmiyat
Woh rah Jaaye Khali Hath
Mitra, priyajan ki kya baat-
Kismat bhi Chhod Jaaye sath.
Waqt se Aage chalne ki hod
Shanti, Ahinsa Prakriti ki Suraksha Chhod
Manav ne kiya Jab Jab is per Prahar
jeet ka to pata nahin,
Mili Hai Har Bar Hi Har.
Sisakti Awaazen Lahuluhan Dharti
Hai Iske gavah -
Kabhi Parmanu Bam, Bhukamp, sunami
Badh, Sukha, world war
kabhi haija, kabhi chechak
kabhi Corona Ka war.
trahi trahi kar raha pura Sansar
Prakriti Ki Hai Yahi Pukar
Waqt Ne De Diya Hai Sandesh-
Manav tu had me rah,
Tabhi Hogi Khushiyan apaar ,
Tabhi Hogi Manavta Ki Jai Jaikar.
:-Written by Tara kumari.
बहुत उम्दा.. आज के दौर की समसामयिक रचना.. संभावनाओं से भरपूर रचनाकार को हार्दिक बधाई ढेरों शुभकामनाएं..
ReplyDeleteThank you.
DeleteSuprb mm,
ReplyDeleteUTTAM
ReplyDeleteBahut sunder rachna.
ReplyDeleteWow too good lockdown ka sahi prayog warna pta hi nhi chalta .Aparampar Pratibha.
ReplyDeleteNice lines. Time never wait anyone.
ReplyDeleteMany thanks all of you..
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